विजेंद्र कुमार वर्मा के कविता

नेता के गोठ

नेता ह अड़जंग भोगाय हे,
घुरवा कस बेशरम छतराय हे I
किसान मन के लहू चूस के,
येदे कस के बौराय हे I
देख के मजदूर अऊ किसान ह,
मरत ले मुरझाय हे I
उज्जर उज्जर कुरता पहिन के,
दाग ल घलो छुपाय हे I
नेता ह अड़जंग भोगाय हे I
नेतागिरी अऊ दादागिरी करके,
लोगन ल गोड़ तरी दबाय हे I
जात अऊ पात में बाटके,
भाई ल भाई से लड़ाय हे I
चापलूसी करत बाबू अफसर ह,
गजब के पोट्ठाय हे I
अब तो कुछ करही कईके,
बाट जोहत जनता ह,
पीछू पीछू लुलवाय हे I
नेता काबर बनायेन कईके,
मूह ल ओथराय हे I
बेरोजगारी अऊ भुखमरी ल,
इही नेता ह उपजाय हे I
सोचत सोचत विजेंद्र ह,
बड़ घलो भरमाय हे I
नेता ह अड़जंग भोगाय हे I
नेता ह अड़जंग भोगाय हे I

तिहार के बाद

ऐदे तिहार ह घलो सिरागे,
आनी बानी के जिनिस बने रहिस
उहू ह बटागे I
जुन्ना जुन्ना कुरता पेंठ ह,
फ़रिया बन के फेकागे I
झुमरत रहिस मनखे मन,
तेनो ह नदागे I
लइका लोग के मुडी कान ले,
गुलाल ह उड़ागे I
गाँव गली सुन्ना करके,
लोगन मन कहा लुकागे I
बाजत रहिस नगारा ह,
उहू ह कहा धरागे I
कोतवाल के मुनादी परिस,
त चेपटी ह कहा भगागे I
काबर अईसन तिहार आईस कईके,
दरुवा मन रिसागे I
भारी पड़ीस दारू मुरगा ह,
कईके खिसा ह चिरागे I
ऐदे तिहार ह घलो सिरागे I
ऐदे तिहार ह घलो सिरागे I

करिया जहर

जम्मो कारखाना ह,
करिया जहर उगलत हे I
अजगर कस बैठ के,
गाँव ल लिलत हे I
धान के कटोरा ह संगी,
अपन हालत में रोवत हे I
ये देख के दुर्दशा,
महू ल रोना आथे I
पर का कर सकहूँ ,
कहिके मन ह भरमाथे I
भूईयां के पीड़ा ल,
कोई नई समझे I
समझैया अड़जंग किसान ह,
पीड़ा ल भुलागे I
सोचत सोचत इहू,
किसान मन सिरागे I
टेटकू,बिसरू,समारू ह,
पीथे त अटीयाथे I
अऊ कुछु बोलबे त,
महू ल बिजराथे I
ये सब देख के रोना आथे,
पर का कर सकहू कईके,
मन ह भरमाथे I
फागुन में
फागुन ह रंग बिरंगा,
मऊसम लेके आथे I
खेत खार म सरसों के,
पिवरा पिवरा फूल लहलहाथे I
पेड़ म नवा नवा,
कोवची कोवची पाना छतराथे I
फाग के संग नगारा के,
गुदुम गुदुम बने सुहाथे I
परसा के लाली फुल,
फागुन के सुरता दिलाथे I
कोईली के कुहकई ह,
नवा बिहान असन लागथे I
मनखे मन घलो अबड़,
रंग गुलाल उड़ाथे I
चिरई चिरगुन झुमर झुमर के,
फागुन म मौज मनाथे I
फागुन ह रंग बिरंगा,
मऊसम लेके आथे I

विजेंद्र कुमार वर्मा

Vijendra Kumar Vermaजीवन परिचय– मेरा जन्म ग्राम नगरगाँव में कृषक परिवार में श्री मंगलू राम वर्मा और माता श्रीमति सरस्वती देवी वर्मा के यहाँ 01-01-1971 को हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुआ, हायर सेकेण्डरी पास करने के बाद आई.टी.आई और बी.एस.सी जियोलॉजी में पास करने के बाद 1996 में श्री मति संगीता टिकरिहा के साथ विवाह हुआ। मेरे दो बच्चे है, पल्लवी वर्मा और जान्हवी वर्मा, मेरी श्रीमति भी कविता और लेख हिंदी में लिखती है। मै अभी भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत हूं। मेरा निवास सेक्टर-4 भिलाई है-
विजेंद्र कुमार वर्मा
क्वाटर नंबर 10/A स्ट्रीट नंबर-25
सेक्टर-4 भिलाई
मो.न.-9424106787

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4 Thoughts to “विजेंद्र कुमार वर्मा के कविता”

  1. हेमलाल साहू

    आपमान के रचना बहुत बड़िया हे भैया आपमान ल बहुत बहुत धन्यवाद जो छत्तिसगढ़ी मे लिखेव । जय जोहार राम राम

    1. thanks bhai hemlal sahu ji

  2. chhattar gavde

    आपमान के रचना बहुत बड़िया हे भैया आपमान ल बहुत बहुत धन्यवाद जो छत्तिसगढ़ी मे लिखेव । जय जोहार राम राम

    1. धन्यवाद छत्तर भाई

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